भीड़ है मेरे चारो तरफ फिर भी नही कोई शोर है,
बिना बोले कुछ चली गयी शायद बात कुछ और है,
ज़रूरत पड़ेगी उसे तो फिर वापस वो ज़रूर आएगी,
फिर जब मैं नही पलटूगा वो भी सोचेगी की इसमे किस बात की चौड़ है,
अगर मिलना होगा तो हम सहमति से मिलेंगे,
और अगर है जुदाई लिखी तो प्यार से अलविदा कहेंगे,
फिर मेरी वीरान दीवारों पर तन्हाई के पर्दे झूलेंगे,
किसी और कि भी अगर हो गयी वो......तब भी उसे नही भूलेंगे।
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