Wednesday, 4 March 2020

वक़्त...


किस तरह उसके बिना जीना है,
ये बात मुझे वक़्त ने बता दिया,
गहरी चोटें कोई अपना ही देता है,
ज़िन्दगी के तजुर्बों ने ये भी सिखा दिया,
पास होकर भी दूर है,
ये फासला गलतफहमियों ने बना दिया,
उन चोटों का इलाज नही हो सकता जो किसी अपने ने दी हो,
ये बात मरहम ने मुझे बता दिया।
किस तरह उसके बिना.........
Share:

0 comments:

Post a Comment

All Post

Powered by Blogger.

इंतज़ार....

तेरे एक बार क्या हुए, किसी और के न हो सके हम, तुझसे अलग तो हो गए, लेकिन भूला न सके हम, होगा आसान तेरे लिए ये दिलों का खेल, ले...

Ask me

Name

Email *

Message *

Blog Archive

Followers