Saturday, 29 February 2020

आदत.....


तेरे इश्क़ का मेरे दिल पर एक फितूर हो रहा था,
तेरे इत्र का मुझ पर सुरूर सा हो रहा था,
तू मेरी आदत बनती जा रही थी,
मैं इसका आदि न हो जाऊ, इसलिए तुझसे दूर हो रहा था।
Share:

Religion


मैं मौर्य तुम ख़ान हो,
मैं दीवाली तुम रमज़ान हो,
नही हो सकता हमारा इश्क़ मुक्कमल,
क्योंकि मैं हिन्दू और तुम मुस्लमान हो,
ये जानते हुए भी ये मानते हुए भी,
मैं बेवजह तुमसे ज़िद कर रहा था,
क्योंकि मैं खुद से ज्यादा तुझसे प्यार कर रहा था,
थोड़ी सी कोशिश तू भी कर सकती थी,
लेकिन साथ न आने की तेरी ही मर्जी थी,

Share:

First Meeting


बहुत दिनों के बाद फिर से एक एहसास हों रहा था,
कोई तो था....जो मेरे लिए फिर से खास हो रहा था,
था वो मुझसे दूर ज़रूर लेकिन फिर भी मेरे पास हो रहा था,
हाँ शायद...मुझे फिर से प्यार हो रहा था।
Share:

All Post

Powered by Blogger.

इंतज़ार....

तेरे एक बार क्या हुए, किसी और के न हो सके हम, तुझसे अलग तो हो गए, लेकिन भूला न सके हम, होगा आसान तेरे लिए ये दिलों का खेल, ले...

Ask me

Name

Email *

Message *

Blog Archive

Followers